Dynamin डी.एम. समझाती है चाहत हो तो बदलाव लाया जा सकता है

Dynamic डी. एम. एक ऐसी किताब है जो हमें यह समझाती है कि अगर जिले का अधिकारी चाहे तो कोई जिला पिछ़ड़ा ना हो, भले ही उस जिले में कितनी भी समस्या हो. उत्तर प्रदेश का बांदा जिला, जिसकी पहचान इस देश के सबसे पिछ़डे जिलों में होती थी, कैसे एक अधिकारी के आने के बाद वो तरक्की करने लगा और कैसे उसने पूरे देश का ना सिर्फ ध्यान अपनी ओर खींचा बल्कि राह भी दिखाई, वो यह किताब बतलाती है.

Dynamic डी. एम. दरअसल, आईएएस डॉ हीरा लाल के बांदा में पोस्टिंग के दौरान किए गए उनके कार्यों और उसके बाद आए बदलावों को लेकर एक साफ लकीर खीचतीं हैं. किताब को लिखा है कुमुद वर्मा ने.

किताब की शुरूआत में डॉ हीरा लाल के जीवन के बारे में जानकारी है. डॉ हीरा लाल के परिवार, उनकी शुरूआती शिक्षा, उसके बाद उनके प्रशासनिक अफसर तक के बनने की बताई गई है.

इसके बाद डॉ हीरा लाल के बांदा के डीएम बनने और उसके बाद उनके द्वारा जिले में किए गए कार्यों को बेहतर और विस्तार से बतलाया गया है. किताब में बताया गया है कि कैसे उन्होंने पानी की समस्या का समाधान, लोकसभा चुनावों में वोट प्रतिशत बढ़ाने, कुपोषण की समस्या से निपटने, के लिए कैसे लोगों के साथ मिलकर समस्याओं का सफलता पूर्वक समाधान किया . किताब में 13 अलग-अलग बुंदिओं पर किए गए कार्यों और उनके अप्रोच के बारे में जानकारी है. किताब बताती है कि आखिर कैसे काम हुए और कैसे स्थितियां बदलीं.

किताब में पानी की पानी की समस्या के समाधान को लेकर जो काम हुआ उसकी जानकारी देते हुए बताया गया है"470 गांव में खंती खुदी, 3930 किलोलीटर पानी इकट्ठा करने की नई जगह बनी. 34, 732 लोगों ने भाग लिया और जागरूक हुए. 11, 001 किलोलीटर वार्षिक रीचार्ज क्षमता सृजित हुई."

"लगभग सवा साल के कार्य से करीब 1.34 मीटर जल स्तर ऊपर आया. इससे लगभग 18.5 प्रतिशत फसल उत्पादकता बढ़ी. लोग स्वंय पानी बचाने में लग गए." इसके अलावा बांदा में कैसे लोगों को रोजगार मिले, इसके लिए स्टार्टअप और इनोवेशन जैसे कार्यक्रम हुए, इसकी भी जानकारी दी गई है. साथ ही बांदा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी काम किया गया.

किताब कैसी है

बुरी बात - किताब का शुरूआती हिस्सा आपको बोर कर सकता है. लेकिन इसके बाद किताब आपको इसे पढ़ने के लिए जरूर मजबूर करेगी, ऐसा कहा जा सकता है.

अच्छी बात- किताब में बड़ी ही सरलता से समझाया गया है कि किसी योजना को लागू करने के लिए क्या अप्रैच था, किन मुद्दों पर ध्यान दिया गया और उसके क्या परिणाम आए. साथ ही कैसे छोटे-छोटे कार्यक्रम से बदलाव लाया जा सकता है, किताब उसकी तस्दीक करती है.

कितने नंबर- अगर बात नंबर की हो तो किताब 5 में से 3.5 अंक तो जरूर ही प्राप्त कर लेगी.

क्या किताब पढ़नी जानी चाहिए- जवाब है, बिल्कुल हां. किताब एक बार जो जरूर पढ़ी जानी चाहिए.

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Mohit Jha

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