बिहार का बेगूसराय एक बार फिर चर्चा में हैं. बेगूसराय शहर में बीते मंगलवार को शाम करीब साढ़े पांच बजे बाइक सवार दो बदमाशों ने नेशनल हाइवे 28 पर एक के बाद एक कई जगहों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई. इस दौरान बदमाशों को जो दिखा, उन्होंने उस पर गोली चला दी. इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि 10 अन्य घायल हुए. कहा जा रहा है कि यह बदमाश साइको थे. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है जब बेगूसराय साइको के कारण सुर्खियों में रहा हो. इससे पहले भी बेगूसराय एक साइको किलर को लेकर चर्चा में रहा था और उस घटना ने पूरे देश को हिलकर रख दिया था.
बिहार के बेगूसराय के भगवानपुर थाना स्थित मुसहरी गांव में करीब एक साल के अंदर एक-एक करके तीन छोटी बच्चियां गायब हुई थी और गांव वालों को शक एक 8 साल के बच्चे पर था. इस बच्चे का नाम था अमरजीत सदा और कुछ ही दिनों में इसने पूरी दुनिया की मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था.
इस घटना की जानकारी जुलाई 2007 में देश और दुनिया के सामने आई थी, जब चुनचुन देवी की 6 महीने की बेटी के लापता हुई थी. चुनचुन देवी अमरजीत सदा की पड़ोसी थी. चुनचुन देवी ने अपनी 6 महीने की बेटी खुशबू को गांव के ही प्राइमिरी स्कूल में सुलाया था और वो अपने घर के काम कर रहीं थीं. लेकिन जब वो अपना काम करके लौंटी तो उन्हें अपनी बच्ची नहीं मिली.
इसके बाद गांव वालों ने मिलकर चुनचुन देवी की बेटी को खोजने को बहुत कोशिश की लेकिन उसका कोई पता नहीं चल पाया. घटना के कुछ घंटो बाद अमरजीत ने कथित तौर पर अपना गुनाह कबूल किया और उसने गांव वालों को बताया कि उसने बच्ची को पत्थर से मार मार कर उसकी हत्या करके उसको खेत में दफना दिया है. अमरजीत इसके बाद गांव वालों को उस जगह लेकर गया, जहां उसने बच्ची को दफनाया था.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अमरजीत ने यह पहली हत्या नहीं थी. इससे पहले, उसने तीन महीने पहले अपनी 8 महीने की बहन को मारा था और करीब साल भर पहले अपनी ममेरी बहन को मारा था और इन तीनों हत्यों में मारने का तरीका एक जैसा था.
अमरजीत के एक पारिवारिक सदस्य ने उस दौरान बताया था कि उसके परिवार के कुछ लोगों को उसके जुर्म के बारे में पता था, लेकिन उन्होंने इसे पारिवारिक घटना मानकर छोड़ दिया था और पुलिस को इसके बारे में कोई सूचना नहीं दी थी.
कहा जाता है कि अमरजीत को जब पुलिस अपने साथ थाने लेकर गई और उससे पूछताछ की गई तो वो केवल हंस रहा था. पुलिस वालों को उससे सवालों के जवाब के लिए बच्चों की तरह व्यवहार करना पड़ा. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि अमरीजत ने पुलिस के हर सवाल का जवाब देने से पहले बिस्कुट की मांग की थी.
बीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमरजीत से जब पुलिस ने इस बाबत सवाल किया तो उसने कहा था, "मारने के बाद मैंने इसे खेत में रख दिया. उसकी माँ ने खोजा तो मैंने उस बता दिया कि उसे कहाँ रखा था." उसे क्यों मारा-इस सवाल के जवाब में अमरजीत ने कहा था,‘बस मार दिया.’
रिपोर्ट के अनुसार, अमरजीत का मां लीला देवी ने इस घटना से इंकार किया था कि उसने उसकी बहन को मारा है. लीला देवी ने कहा था, ‘इसने अपने ममेरे भाई की हत्या नहीं की, हाँ उसके हाथों से उसकी बहन नाले में गिर गई जिसके बाद उसकी मौत हो गई.'
वहीं भगवानपुर थाना के प्रभारी शत्रुघ्न कुमार ने इस घटना पर कहा था ‘अपने लंबे पुलिस करियर में मुझे पहली बार ऐसे बच्चे का पाला पड़ा है जो आत्मविश्वास से भरा है. वर्दी का कोई ख़ौफ़ नहीं. डाँटने का भी उसपर कोई असर नहीं होता. उसे न तो कोई ग़म है और न ही कोई पश्चाताप.’
अमरजीत क्योंकि बच्चा था तो उसको जेल नहीं भेजा गया और कोई सजा नहीं हुई. हालांकि, उसे स्थानीय अदालत में भेजा गया था, जहां से उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया था.
अमरजीत के बारे में ज्यादा जानकारी तो बाहर नहीं आई थी, लेकिन कहा जाता है कि उसका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था और उसके पिता एक मजदूर थे. कहा जाता है कि साल 1998 में जन्में अमरजीत को साल 2016 में बाल सुधार गृह से छोड़ दिया गया था.
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