भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री 10 जनवरी 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ एक शांति समझौता करते हैं और इस समझौते के कुछ ही घंटो बाद अचानक से उनकी मौत की खबर आती है. आधिकारिक तौर पर कहा जाता है कि शास्त्री जी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. लेकिन कई लोग इस दावे पर सवाल उठाते हैं. तो ऐसे में जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर ताशंकद में शास्त्री जी के साथ ऐसा क्या हुआ था कि उनकी मृत्यु को लेकर सवाल उठाए जाते हैं.
भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में अप्रैल से 23 सितंबर के बीच 6 महीने तक युद्ध चला. युद्ध खत्म होने के 4 महीने बाद जनवरी, 1966 में दोनों देशों के शीर्ष नेता तब के रूसी क्षेत्र में आने वाले ताशकंद में शांति समझौते के लिए रवाना हुए थे. पाकिस्तान से राष्ट्रपति अयूब खान वहां गए थे, जबकि भारत से प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री गए थे. 10 जनवरी को दोनों देशों के बीच शांति समझौता हो भी गया था. लेकिन इस समझौते के 12 घंटे के अंदर ही देश को शास्त्री जी का मृत्यु समाचार प्राप्त हुआ.
भारत सरकार ने शास्त्री जी के निधन पर सदन में दो जानकारी दी थी, उसके अनुसार, उस रात शास्त्री जी को हार्टअटैक आया था जिसके बाद उनके निजी फिजीशियन डॉ आरएन चुग ने उनका ईलाज किया था, लेकिन उन पर उस ईलाज का कोई असर नहीं हुआ था, जिसके बाद उन्होंने फौरन ही आपातकालीन तरीके आजमाए, लेकिन अंतत: वो सफल नहीं हो पाए. इसके साथ ही उस दौरान ड्यूटी पर तैनात सोवियत डॉक्टरों की टीम ने भी डॉ चुग के बाद शास्त्री जी को बचाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन उनको बचा नहीं पाए.
कहां से हुई विवाद की शुरूआत
शास्त्रीजी की मृत्यु के बाद विवाद की शुरूआत सदन से हुई थी. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने सबसे पहले सदन में शास्त्री की मौत को लेकर संदेह जताया था, इसके साथ ही तब बाकी के कुछ और सांसदों ने इसको लेकर सवाल उठाए थे. लेकिन सरकार ने इन सवालों के जवाब में कहा था कि शास्त्री जी के साथ कुछ गलत नहीं हुआ था.
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